आप जानेंगे की चुंबक किसे कहते हैं यह कितने प्रकार की होती है?, चुंबक बनाने की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी है?, स्थाई चुंबक और विद्युत चुंबक में अंतर क्या है?, फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण संबंधी नियम क्या है?, चुंबकीय पदार्थों को कितने भागों में बांटा जा सकता है? , प्रेरित विद्युत वाहक बल किसे कहते हैं? ऐसे किस कार उत्पन्न किया जाता है

चुंबक किसे कहते हैं?
चुंबक – एक ऐसा पेंट जिसमें लोहा के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करने तथा स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर उत्तर दक्षिण दिशा में ठहर जाने का गुण विद्यमान हो चुंबक कहलाता है।
चुंबक कितने प्रकार की होती हैं?
(A) प्राकृतिक चुंबक
पृथ्वी के धरातल पर खोजे गए मैग्नेटाइट अथवा लेड स्टोन नामक पत्थर को प्राकृतिक चुंबक कहते हैं । इस प्रकार का चुंबक वोडाल होता है तथा इनमें चुंबकत्व अल्प मात्रा में होता है
(B) कृत्रिम चुंबक
किसी कृत्रिम विधि द्वारा चुंबकीय पदार्थों से बनाए गए चमक को कृत्रिम चमक कहते हैं। कृत्रिम चुंबक मुख्यता दो प्रकार की होती है-
स्थाई कृत्रिम चुंबक
जिस चुंबक का चुंबकत्व अनेक वर्षों तक स्थाई रूप से बना रहता स्थाई कृत्रिम चुंबक कहलाता है यह चुंबक कार्बन स्टील कोबोल्ट स्टील आदि से बनाए जाते हैं।
अस्थाई कृत्रिम चुंबक
विद्युत चुंबक एक अस्थाई चुंबक होता है क्योंकि इसमें चुंबकत्व का अस्तित्व तब तक विद्यमान रहता है। जब तक इसकी क्वाइल में से विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है। अस्थाई कृत्रिम चुंबक है। इसकी विशेषता यह है कि इसे आवश्यकता अनुसार शक्तिशाली बनाया जा सकता है। इसका उपयोग विद्युत घंटी, वैद्युत यंत्रों, चुंबकीय चक, मोटर जनरेटर आदि में किया जाता है।
चुंबक के बनाने की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी है?
चुंबक बनाने की निम्न विधियां है –
एक स्पर्श विधि
इस विधि में एक छड़ चुंबक के किसी सिरे की फौलाद की छड़ पर 50.60 बार रगड़ा जाता है। जिससे कि फौलाद की छड़ चुंबक बन जाती है। इस विधि में छड़ के जिस सिरे पर चुंबक का N- ध्रुव रगड़ना प्रारंभ करते हैं। फौलाद की छड़ का वह सिरा N- ध्रुव बन जाता है।
दोहरी स्पर्श विधि
इस विधि में फौलाद की छड़ को दो छड़ चुंबक के ऊपर भली प्रकार से रखा जाता है। अब लकड़ी की एक गुटके को फौलाद की छड़ के माध्यम में रखकर गुटके के दोनों ओर दो अन्य छड़, चुंबक को बिना उनमें फौलाद की छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे की और सात बार रगड़ा जाता है। रगड़ने की क्रिया उसी बिंदु पर समाप्त की जाती है जहां से यह प्रारंभ की गई थी।
विभाजित स्पर्श विधि
इस विधि में रगड़ने बालों से छड़ – चुम्बकों के बीच लकड़ी का कोई गुटका नहीं होता । बल्कि दोनों छड़ चुंबक को फौलाद की छड़ के मध्य बिंदु पर रखकर फौलाद की छड़ पर विपरीत दिशाओं में रगड़ते हैं। 50-60 बार रगड़ने पर फौलाद की छड़ चुंबक बन जाती है।
विद्युतिक विधि
इस विधि में चुंबक बनायी जाने वाली फौलाद की छड़ को एक क्वाइल के बीच रखा जाता है। अब क्वाइल में D.C धारा प्रवाहित की जाती है। कुछ घंटों में फौलाद की छड़ चुंबक बन जाती है। यदि फौलाद की छड़ के स्थान पर नरम लोहे की छड़ प्रयोग की जाए । तो उसमें चुंबकत्व का अस्तित्व तभी तक रहता है जब तक की क्वाइल मे से धारा प्रवाहित होती रहती है। इस प्रकार का चुंबक विद्युत चुंबक कहलाता है।
प्रेरण विधि
इस विधि में चुंबक बनाई जाने वाली छड़ को चुंबक के बीच रखने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें एक से अधिक लपेटो वाली एक क्वाइल के बीच नरम लोहे की छड़ रखी जाती है और उसी के ऊपर फौलाद की छड़ इसे दी जाती है। यह उपकरण पोल चार्जर कहलाता है। इस विधि में फौलाद की छड़ प्रेरण विधि की क्रिया से चुम्बक बनती है। अत: इसे प्रेरण विधि कहते है।
स्थायी चुंबक और विद्युत चुंबक में अंतर लिखिए?
स्थायी चुंबक और विद्युत चुंबक में निम्न अंतर है-
क्रमांक | स्थायी चुंबक | विद्युत चुंबक |
इसकी शक्ति को आवश्यकता अनुसार घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता | इसकी शक्ति को घटाया बढ़ाया जा सकता है । | |
2. | इसकी ध्रुवता स्थायी होती है। | इसकी ध्रुवता बदली जा सकती है। |
3. | यह अल्प मूल वाला होता है। | यह अधिक मूल वाला होती है । |
4. | इसका उपयोग चुंबकीय सुई में किया जाता है । | इसका उपयोग चुंबकीय सुई में उपयोग नहीं किया जा सकता है । |
5. | विद्युत घंटी, रेल जनरेटर में प्रयोग नहीं किया जा सकता | इसमें इसका प्रयोग किया जा सकता है । |
फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण संबंधी नियम कौन-कौन से हैं? लिखिए
फैराडे के विद्युत चमक की प्रेरणा से संबंधी निम्नलिखित नियम है-
प्रथम नियम
यदि किसी चालक में से गुजरने वाले चुंबकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तित होता है । तो उस चालक में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और इस विद्युत वाहक बल का अस्तित्व तभी तक रहता है। जब चुंबकीय फ्लक्स की मात्रा में परिवर्तित होता है ।
द्वितीय नियम
प्रेरित विद्युत वाहक बल (C) का मान चुंबकीय फ्लक्स की मात्रा परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात्

(-) चिन्ह : इस बात को दर्शाता है कि प्रेरित विद्युत वाहक बल और चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दिशाएं विपरीत हैं।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण
यदि किसी चालक की किसी चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार गतिमान रखा जाए कि उसकी गति रोधक चुंबक बल रेखाओं का छेदन होता है। तो उस चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल हो जाता है ऐसे विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं।
चुंबकीय पदार्थों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
चुंबकीय पदार्थों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
फेरो चुंबकीय पदार्थ
जो पदार्थ किसी शक्तिशाली चुंबक के समीप रखे जाने पर चुंबक बन जाते हैं। उसे फेरो चुंबकीय पदार्थ कहते हैं। इन पदार्थों की चुंबक शीलता का मान काफी अधिक होता है इसका उपयोग स्थाई चुंबक बनाने में होता है।
पैरा चुंबकीय पदार्थ
जो पदार्थ किसी शक्तिशाली चुंबक के समीप रखे जाने पर उसमें किसी प्रकार का चुंबकत्व पैदा नहीं होता है। बल्कि उनमें से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या घट जाती है। उसे पैरा चुंबकीय पदार्थ कहते हैं।
दामा चुंबकीय पदार्थ
जिन पदार्थों को किसी शक्तिशाली चुंबक के पास रखने पर उनमें किसी प्रकार का चुंबकत्व पैदा नहीं होता बल्कि उनमें से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या घट जाती है। उसे डामा चुंबकीय पदार्थ कहते हैं।इनकी चुंबक शीलता का मान इकाई से कुछ कम होता है।
प्रेरित विद्युत वाहक बल किसे कहते हैं ? इसे किस प्रकार उत्पन्न किया जा सकता है ?
किसी चालक में विद्युत चुंबकीय प्रेरणा की क्रिया के फल स्वरूप पैदा होने वाला विद्युत वाहक बल ही प्रेरित विद्युत वाहक बल कहलाता है। और इसे इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के कारण प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा को प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं। ” किसी चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल निम्न दो प्रकार से उत्पन्न किया जा सकता है।
गतिजन्य प्रेरित विद्युत वाहक बल
जब कोई चालक किसी चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार गति करता है कि उसके द्वारा चुंबकीय फ्लक्स का छेदन होता है। तो उसमें प्रेरित होने वाला विद्युत वाहक बल गतिजन्य प्रेरित विद्युत वाहक बल कहलाता है।
E = B.1.V sin θ
स्थिति जन्य प्रेरित विद्युत वाहक बल
यदि कोई चालाक किसी प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार स्थित रहता है कि उसकी स्थिति से चुंबकीय फ्लक्स परिवर्तन मैं बंधा उत्पन्न होती है। तो फैराडे के सिद्धांत के अनुसार उसमें विद्युत वाहक बल पैदा हो जाता है जो स्थिति जन्य प्रेरित विद्युत वाहक बल कहलाता है।
E = -N/dt . dθ
चुंबकीय रीले क्या है?
वैद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक परिपथो को स्वचालित रूप से “On” अथवा “Off” करने के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्युत चुंबकीय युक्ति को चुंबकीय रिले कहते हैं। इनमें मुख्यतः 6V/12V D.C. क्वायल लोह रोड़ No तथा Nc संयोजक पेंच होते है। इनमें No तथा Nc संयोजक ओं की संख्या आवश्यकता अनुसार रखी जाती है। इनमें क्वायल को मुख्यतः नियंत्रण सिग्नल सीधे ही परिपथ से सिद्धांत किया जाता है जैसे ही नियंत्रण सिग्नल की धारा का मान निर्धारित मान तक पहुंचता है। तब वैद्युत चुंबक पूर्णता उत्तेजित हो जाती है विद्युत चुंबक लोहा रीड को भी आकर्षित कर लेता है। और No और Nc संयोजक आवश्यकता अनुसार परीपथो को क्रमश: “On” अथवा “Off” कर देते है।
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